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कानपुर देहात-उपरोक्त मामले की माननीय अपर जिला जज प्रथम श्री रजत सिन्हा की अदालत में चल रही थी सुनवाई

जिला कारागार में बलवा तथा जानलेवा हमला करने के मामले में माननीय न्यायालय ने सुनाई 8 वर्ष के कारावास की सजा

उपरोक्त मामले की माननीय अपर जिला जज प्रथम श्री रजत सिन्हा की अदालत में चल रही थी सुनवाई

 

कानपुर देहात। आपसे करीब 12 वर्ष पहले जिला कारागार कानपुर देहात में बंदी रक्षों पर एक बंदी की मारपीट करके हत्या का आरोप लगाकर जिला कारागार में निरुद्ध बंदियो ने जिला कारागार परिसर में जमकर उत्पात किया था। इस मामले में कई बंदी रक्षक घायल हो गए थे।
उपरोक्त मामले में एक युवक ने अदालत में अपना अपराध स्वीकार करते हुए एक प्रार्थना पत्र दिया था।
जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने उसे उपरोक्त मामले में दोष सिद्ध करते हुए उसे 8 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही साथ माननीय न्यायालय ने उसे अर्थ दंड से भी दंडित किया है।
सहायक शासकीय अधिवक्ता ने बताया है कि जिला कारागार कानपुर देहात के प्रधान बंदी रक्षक बृजनंदन लाल ने कोतवाली अकबरपुर में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए पुलिस को बताया था कि 16 मार्च 2012 की सुबह वह और उसके साथी बंदी रक्षक अतर सिंह बंदियो को सुबह का चाय नाश्ता कराकर किशोर बैरक में मौजूद था। इसी बीच सर्कल गेट के अंदर से चिल्लाने व शोर शराबे की आवाज़े आने लगी और बंदियो के द्वारा तोड़फोड़ की जाने लगी। कुछ ही देर में सभी बंदी एकजुट होकर जोर-जोर से चिल्लाते हुए जेल वालों पर अपने साथी बंदी रामशरण भदौरिया को पीट- पीट कर मार डालने का आरोप लगाते हुए जेल में तोड़फोड़ करते हुए सरकारी कंबलों में आग लगा दी। और बंदी रक्षकों को जान से मारने की नीयत से ईट पत्थर चलाने लगे। लाठी डंडों से भी उपरोक्त हमलावरों ने हमला करना शुरू कर दिया। उपरोक्त हमलावरों ने बंदी रक्षक अतर सिंह को भी मारपीट कर गंभीर रूप से घायल कर दिया। तीन बंदी रक्षकों में गोविंद सिंह, अरुण सिंह तथा शिवदयाल को उपरोक्त हमलावरों ने बंधक बना लिया। पुलिस ने उपरोक्त मामले की विवेचना करने के बाद जिला एटा निधौली क्षेत्र के गुढा निवासी साबिर अली शाहिद अन्य बंदियो के खिलाफ बलवा, सरकारी कार्य में बाधा डालने, तथा जान लेवा हमला करने सहित अन्य गंभीर धाराओं में आरोप पत्र माननीय न्यायालय में दाखिल किया था। उपरोक्त मामले की सुनवाई माननीय अपर जिला जज प्रथम श्री रजत सिन्हा की अदालत में चल रही थी। उपरोक्त मामले की सुनवाई के दौरान आरोपी साबिर अली ने अपने अपराध को स्वीकार कर लेने का प्रार्थना पत्र माननीय न्यायालय के समक्ष पेश किया था। जिसकी सुनवाई करते हुए माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद उपरोक्त मामले में साबिर अली को दोष सिद्ध करते हुए उसे 8 वर्ष के कारावास की सजा सुनाई है। साथ ही साथ माननीय न्यायालय ने उसपर 1500 रुपए का अर्थ दंड भी लगाया है। अर्थ दंड की धनराशि अदा न करने पर उपरोक्त मामले के दोषी को एक माह के अतिरिक्त कारावास की सजा भुगतनी होगी।।।

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