फफूंद औरैया
कस्बे के कवि और शायरों ने मचाई धूम-जमकर वाहवाही लूटी*
फफूंद प्रदर्शनी में हुआ स्थानीय कवि सम्मेलन और मुशायरा
फफूंद,औरैया। कस्बे के नुमाइश मैदान के प्रदर्शनी पंडाल में स्थानीय कवि सम्मेलन और मुशायरा का आयोजन किया गया।जिसमे क्षेत्रीय कवियों और शायरों ने अपनी कविताएं प्रस्तुत कर श्रोताओं की वाहवाही लूटी और जमकर तालियां बटोरीं।कार्यक्रम सुबह भोर तक चलता रहा।
शुक्रवार की रात कस्बे के प्रदर्शनी पंडाल में स्थानीय कवि सम्मेलन और मुशायरे की शुरुआत मां सरस्वती का पूजन करके की गई।इसके बाद नगर पंचायत अध्यक्ष मोहम्मद अनवर ने सभी कवियों और शायर को शाल ओढ़ाकर और स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।कवि आंनद त्रिपाठी ने माँ सरस्वती को शब्द सुमन अर्पित करके कार्यक्रम का आगाज किया।मुहम्मद अतीक ने खामोश क्यूँ है यह गुलो शबनम तेरे बगैर,गमगीन हो गया है यह मौसम तेरे बगैर गमगीन हो गया।। पढ़ी। वरिष्ठ साहित्यकार डॉ अजित द्विवेदी ने ” बहुत हो चुका नख विरख वर्णन,अब ना मैं श्रृंगार लिखूंगा। सीमा रुधिर खौल जाए ऐसा अब अंगार लिखूंगा।। इसके बाद हास्य के शायर समी खान असर ने व्यंग्य पढ़ा कि यह रंग भी दिखा है अब कि प्यार में, कटियाँ पड़ी हुई हैं कई एक तार में।।कवि सलीम खान धाकड़ ने पढ़ा ये देश की थाती है कभी मीरा कभी रसखान कभी कबीर लगती है, तिरंगे से सही हर इमारत लाल किले की प्राचीर लगती है।।कवि बेचेलाल विद्रोही ने फागुन महीने को लक्ष्य करते हुए पढ़ा अर्थी बनी हजारों कन्या बैठ न पाईं डोली में,जाने कितने घर बर्बाद हो गए इस दहेज की होली में सुनाकर तालियां बटोरीं। कवि रामजी मिश्रा ने मेरी हिंदी भी उत्तम है मेरी उर्दू भी आला है सुनाकर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। शायर अफ़ज़ल खान ने “मेरे पुरखों की जागीरें दबाकर ,वह तस्वीर पुरानी दे गया है” शेर पढ़कर वाहवाही लूटी।वहीं अमरनाथ दीक्षित ने तुम होली के रंग में रंगों मन को हम ईद के चांद की बात करेंगे, सुनाकर खूब वाहवाही लूटी”।कार्यक्रम में शामिल अन्य कवि और शायर इकराम,गुलफाम,गुलजार और आसिफ अंसारी ने भी अपनी कविताएं पेश कर श्रोताओं की तालियां बटोरीं।