कानपुर देहात
कर्म का फल प्रारब्ध बनकर पीछे पड़ा है क्या इस प्रारब्ध से कोई बचा हैं। आचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी
जनपद कानपुर देहात के मुख्यालय के समीप विराजमान भगवान श्री ब्रह्मदेव बाबा के आश्रम में चल रही श्री राम कथा के तीसरे दिवस पर आचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी जी ने भगवान की विभिन्न लीलाओं का विस्तृत रूप से वर्णन करते हुए कथा पंडाल में उपस्थित श्रोताओं को भक्ति रूपी गंगा में लगवाई डुबकी
बाबा ब्रम्हदेव जी के आश्रम मिलकिनपुरवा मे आयोजित श्रीराम कथा के तीसरे दिवस आचार्य ज्ञानेश त्रिपाठी जी ने कहा कि कर्म का फल प्रारब्ध बनकर पीछे पड़ा है।
पर क्या इस प्रारब्ध से कोई बचा है,जिसका संबंध भगवान के चरण से है,उसे देखकर ही प्रभू के चरणों में भक्ति आ जाती है।
नारद जी को लगा कि यहां बैठकर भगवान का स्मरण करना चाहिए,पर शाप पीछे लगा है दक्ष का ,
उनके पुत्रों को वैराग्य का उपदेश दिया जिसके कारण दक्ष ने शाप दिया कि ज्यादा देर कही ठहर नहीं सकते।
नारद जी ने भगवान का स्मरण किया समाधि लग गई ,देवराज इंद्र को डर हुआ कि हमारा पद चला जाएगा,कामदेव को भेजा सहायकों के सहित कामदेव ने पूरा प्रयास किया कि उनकी समाधि भंग हो जाय , पर भगवान जिनकी रक्षा करे ,उसका कोई क्या बिगाड़ सकता है। क्योंकि नारद जी हरि गुण गायक हैं।
लेकिन काम को जीतने के बाद अपना गुण गाने लगे, जब भगवान की कृपा को कोई कृपा नहीं अपनी योग्यता समझ ले , इसी स्थिति को नारद मोह कहते हैं।
उन्होंने राम जन्म के कई कारण बताए मनु और सतरूपा जी का पावन प्रसंग सुनाया।
जब जीव अपने शरीर रूपी भवन में रहकर भी वैराग्य की ओर नहीं जाता केवल इसी संसार के विषयों में फसा रहता हैं। तब फिर एक दिन उनको वैराग्य होता है,और नैमिष में जाकर प्रभू प्राप्ति का वरदान मांगते हैं। और राम जी के पहले रावण का आगमन होता है।
राजा प्रताप भानू की कथा का भाव बताया वही आगे चलकर रावण के रूप में जन्म लिया । जय और विजय का शाप ही कारण बना।
7 फरवरी- शुक्रवार को श्रीराम जन्मोत्सव बधाई गीतो के साथ मनाया जाएगा आप सादर आमंत्रित है।
कथा की आरती मे महन्त देवगिरी जी महाराज, यजमान बहन शकुंतला बाजपेई,श्यामू शुक्ल,अशोक बाजपेई,बिपिन शुक्ल, लक्ष्मी नारायण कश्यप, आदि शामिल हुए।