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बिधूना,औरैया-ब्लाकों के अधिकांश सचिवों का काम कर रहे प्राइवेट कर्मी जनता का शोषण

ब्लाकों के अधिकांश सचिवों का काम कर रहे प्राइवेट कर्मी जनता का शोषण

ज्यादातर ग्राम पंचायत सचिवालय पड़े बंद प्राइवेट स्थानों पर हो रहा काम

बिधूना,औरैया। इन दिनों बिधूना तहसील के विकास खंडों में अधिकांश ग्राम पंचायत सचिवों का काम उनके चहेते प्राइवेट लोग ग्राम पंचायत सचिवालय भवन में न करके अपने प्राइवेट स्थानों पर निपटाते नजर आ रहे हैं। इन प्राइवेट कर्मियों द्वारा सचिवों की जिम्मेदारी अवैध रूप से निर्वहन किए जाने से जहां ग्रामीण जनता पर शोषण की दोहरी मार पड़ती नजर आ रही है वहीं इस मनमाने रवैए से ग्राम विकास विभाग के अधिकारियों की नियत पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहा है। आखिरकार संबंधित अधिकारी इस ओर से क्यों अंजान बने हैं यह भी सवालों के घेरे में है और इस मनमानी को लेकर जनता में भी भारी आक्रोश भड़क रहा है। बिधूना तहसील क्षेत्र के विकासखंड बिधूना अछल्दा सहार व ऐरवाकटरा विकास खंडों की अधिकांश ग्राम पंचायतों में कार्यरत अधिकांश ग्राम पंचायत सचिवों द्वारा नियम कानून को ठेका दिखाते हुए मनमाने तरीके से अपने चहेते खास प्राइवेट लोगों को अपने अभिलेख कंप्यूटर समेत 95 प्रतिशत तक काम सौंप दिए गये है।
आलम यह है कि यही प्राइवेट कर्मी ग्राम पंचायतों का निर्माण कार्य आदि विभिन्न कामकाज देखने के साथ ग्राम पंचायत की जनता के ग्राम विकास विभाग से संबंधित कामकाज भी स्वयं करते नजर आ रहे हैं जिसके चलते जनता को इनके मनमाने शोषण का शिकार होना पड़ रहा है। जनचर्चा तो आम यह है कि जनता के विभिन्न कामकाज के नाम पर इन प्राइवेट कर्मियों द्वारा काम के नाम पर सचिवों के लिए भी सुविधा शुल्क मांगी जाती है जिससे जनता पर इस अवैध शोषण की दोहरी पड़ रही है। यूं तो प्रत्येक ग्राम पंचायत में ग्राम पंचायत सचिवालय भवन भी बनाए गए हैं और वहीं पर ग्राम विकास से संबंधित जनता के कामकाज निपटाने की व्यवस्था भी निर्धारित की गई है लेकिन इसके बावजूद अधिकांश ग्राम पंचायत सचिवालय भवन बंद ही नजर आते हैं। यह भी उल्लेखनीय है कि जब ग्राम पंचायतों में इन प्राइवेट कर्मचारियों के लिए किसी मानदेय आदि की कोई व्यवस्था निश्चित नहीं है तो आखिर यह किस मेहनताना पर और क्यों इन ग्राम पंचायत सचिवों का कामकाज कर रहे हैं। जमीनी धरातल पर देखने में आ रहा है कि अधिकांश प्रधान भी सचिवों के स्थान पर इन्हीं प्राइवेट कर्मचारियों के यहां काम कराने के लिए जी हजूरी करते नजर आते हैं। ऐसा नहीं है कि प्राइवेट कर्मचारियों द्वारा सचिवों की जिम्मेदारी निभाए जाने की जानकारी ग्राम पंचायत विकास के संबंधित अधिकारियों को नहीं है बल्कि यह सब जानते हुए भी वह भी इस ओर से चुप्पी साधे हुए हैं जिससे नियम विरुद्ध हो रहे इस आचरण से ग्राम पंचायत विकास विभाग के संबंधित अधिकारियों की नियत पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है। हालांकि इस मनमाने रवैए के विरुद्ध जिस तरह से ग्राम पंचायतों की जनता में नाराजगी भड़क रही है उससे जल्द इस पर अंकुश ना लगा तो यहां निर्णायक आंदोलन का बिगुल बजने की बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है।

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