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कानपुर देहात-कुंभी गांव की जमीन का मामलाः अभिलेखों में हेराफेरी कर हड़पी गई थी कीमती जमीन

कुंभी गांव की जमीन का मामलाः अभिलेखों में हेराफेरी कर हड़पी गई थी कीमती जमीन

1.40 अरब की 116 हेक्टेयर जमीन ग्राम सभा को मिली वापस

कानपुर देहात

अकबरपुर तहसील क्षेत्र के कुंभी गांव में मेडिकल कालेज के पास की कीमती 116 हेक्टेयर जमीन तहसील कर्मियों की सांठगांठ से अभिलेखों में हेराफेरी कर हथिया ली गई थी। मामले में हाईकोर्ट में दाखिल हुई एक याचिका पर डीएम के निर्देश के बाद एडीएम न्याायिक की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय टीम की जांच में गड़बड़ी का खलासा हुआ। मामले में डीजीसी की पैरवी के बाद उक्त जमीन को फिर से ग्राम सभा कुंभी के खाते में वापस करने का आदेश हो सका।
ग्राम पंचायत कुंभी में स्थित गाटा संख्या 592,672, 555, 209, 281, 273, 624, 498, 492 में स्थित ऊसर भूमि का आवंटन 73 लोगों के नाम से 21-11 1975 के प्रस्ताव में आवंटित दर्शाने के बाद राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कर प्रभाव शाली कथित आवंटियों ने अपने नाम दर्ज करा ली थी। इसमें छोटेलाल पुत्र पोखर से संतोष यादव ने जमीन खरीदने के बाद अभिलेखों में मेडिकल कालेज को उपलब्ध कराई गई भूमि के नंबर में इंद्राज कराने के बाद हाईकोर्ट में याचिका 13099/2022 योजित की। इस पर हाईकोर्ट से मांगी गई आख्या के बाद डीएम ने एडीएम न्यायिक अमित राठौर की अगुवाई में एसडीएम सदर व चकबंदी अधिकारी की टीम गठित कर जांच कराई गई। टीम की जांच ने कीमती जमीन को फर्जीवाड़ा कर हथियाए जाने का खुलासा हुआ। डीजीसी सिविल गोपाल स्वरूप ने बताया कि टीम की जांच में पाया गया कि आवंटन पत्रावली में अलग-अलग तारीख दर्शाए जाने तहसीलदार की आख्या 18 दिसंबर 1976 में हस्ताक्षर मेल नहीं खाने के साथ ही एसडीएम के आदेश 30 दिसंसबर 1976 में कृत

मेडिकल कालेज परिसर में जमीन के लालच में हुआ भंडाफोड़

डीजीसी सिविल ने बताया कि कथित आवंटी से बैनामा कराने के बाद संतोष यादव ने राजस्व अभिलेखों में हेराफेरी कराकर खरीदी गई जमीन मेडिकल कालेज के लिए आवंटित जमीन के बीच में करा लिया। इसके बाद मेडिकल कालेज परिसर में जमीन हासिल करने के लिए उन्होने वर्ष 2022 में हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। उनके इस लालच में हुई जांच में फर्जीवाड़े का ही खुलासा हो गया।

अभिलेखों में हेराफेरी करने वाले कर्मी आखिर कौन !

कुंभी गांव की अरबों रुपये की कीमती जमीन के साथ ही दुआरी गांव की जमीन को अभिलेखों में हेराफेरी करवाकर हड़पने वालों से जमीन तो ग्रामसभा में वापस हो गई, लेकिन इस काम में उनका साथ देने वाले कर्मियों का नाम अभी तक पर्दै से बाहर नहीं आ सका। वहीं फर्जीवाड़ा करने वालों के साथ ही उनका सहयोग करने वालों पर कानूनी कार्रवाई ठंडे बस्ते में डाले जाने से प्रशासनिक अफसरों की कार्यशैली पर भी सवालिया निशान बना है।
यथा प्रस्तावित में कृत के आगे स्वी जोडकर स्वीकृत। किए जाने की बात सामने आई। इसके साथ ही 1975- 76 में बताई गई आवंटन कार्रवाई के दौरान कुंभी गांव चकबंदी के आधीन होने से राजस्व अभिलेख चकबंदी में होने के बाद भी राजस्व अभिलेखों में चकबंदी अधिकारी की जगह एसडीएम से अमल दारमद दर्शाए जाने का खुलासा हुआ। उन्होने बताया कि इन तथ्यों के आधार पर एसडीएम सदर अवनीश कुमार सिंह ने कुल 116 हेक्टेयर जमीन को फिर से ग्रामसभा में निहित करने का आदेश दिया। उन्होने बताया कि हेराफेरी कर हथिआई गई इस जमीन की कीमत करीब एक अरब चालीस करोड रुपये बताई गई है…..

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