पराली जलाने की घटनाओं पर जिला प्रशासन सख्त, वसूला जा रहा है जुर्माना
कानपुर देहात
जिलाधिकारी आलोक सिंह द्वारा पराली जलाने वाले व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्यवाही किये जाने के निर्देशों दिये गये है। जिसके परिपालन में जिला प्रशासन द्वारा पराली जलाने वाले किसानो के विरूद्ध अर्थदण्ड की कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0) द्वारा अवगत कराया गया कि कृषि एवं राजस्व विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारियों द्वारा नियमित क्षेत्रभ्रमण कर कृषकों से पराली को जलाने के स्थान पर निराश्रित गोवंश स्थलों पर दान करने, फसल कटाई उरान्त फसल अवशेष को फसल अवशेष प्रबन्धन यंत्रो की सहायता से खेता में ही जुतवाने अथवा वेस्ट डीकम्पोजर का उपयोग कर जैविक उर्वरक के रूप प्रयोग करने हेतु जागरूक करने का कार्य किया जा रहा है। फिर भी कुछ किसानों/व्यक्तियों द्वारा पराली/फसल अवशेष /कूडा अवशेष जलाया जा रहा है, जिन पर नियमानुसार अर्थदण्ड की कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। दिनांक 18.11.2024 तक जनपद में कुल 108 घटनाओं की सूचना प्राप्त हुयी है, जिनका सत्यापन कराने पर 50 घटनाऐं कूडा अवशेष/पतावर/झाडियों आदि जलाने की तथा 58 घटनाऐं फसल अवशेष जलाने की पायी गयी है। सत्यापन में दोषी पाये गये व्यक्तियों को नियमानुसार नोटिस निर्गत कर अर्थदण्ड की वसूली की जा रही है तथा विकासखण्ड बिना इन-सीटू यंत्रो के प्रयोग के फसल कटाई करती पाये जाने पर कम्बाइन हार्वेस्टर सीज भी किये जा रहे है।
उप कृषि निदेशक द्वारा अवगत कराया गया कि अपर जिलाधिकारी (वि0/रा0), द्वारा प्रतिदिन राजस्व एवं कृषि विभाग के अधिकारियों की बैठक कर घटनाओं की रोकथाम एवं दोषियों के विरूद्ध कार्यवाही की समीक्षा की जा रही है। फसल अवशेष/पराली जलाने से जहाॅ एक ओर पर्यावरणीय क्षति, मृदा स्वास्थ्य एवं मित्र कीटों पर कुप्रभाव पडता है वही दूसरी ओर फसलों एवं ग्रामों में अग्निकाण्ड होने की भी सम्भावना होती है। फसल अवशेष जलाने से मिट्टी के तापमान में वृद्धि होने से मृदा की भौतिक, रासायनिक एवं जैविक दशा पर विपरीत प्रभाव पडता है, मिट्टी में उपस्थित सूक्ष्म जीव नष्ट होते है जिससे जीवांश के अच्छी प्रकार से सडने में भी कठिनाई होती है। पौधे जीवांश से ही पोषक तत्व लेते है तथा इससे फसलों का उत्पादन भी कम होता है। अतः पराली किसी भी दशा में न जलाये। जिला प्रशासन द्वारा जनपद में पराली दो खाद लो अभियान भी चलाया जा रहा है, जिसके अन्तर्गत किसान भाई गोशालाओं पर 2 ट्राली पराली देकर, 01 ट्राली की गोबर की खाद प्राप्त कर सकते है। मा0 सर्वोच्च न्यायालय द्वारा फसल अवशेष जलाये जाने पर पूर्णतः रोक लगाते हुए इस दण्डनीय अपराध की श्रेणी में रखा है तथा यदि किसी व्यक्ति द्वारा फसल अवशेष/पराली जलाने की घटना घटित की जाती है तो मा0 राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-24 एवं 26 के अन्तर्गत उसके विरूद्ध पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रु0 2500/- प्रति घटना, 02 से 05 एकड़ के लिए रु0 5000/- प्रति घटना और 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रु0 15000/- प्रति घटना की दर से अर्थदण्ड वसूले जाने का प्राविधान है।
उप कृषि निदेशक द्वारा किसानों को जागरूक किया गया कि बिना सुपर स्ट्रा मैनेजमेन्ट सिस्टम अथवा अन्य कृषि प्रबन्धन यंत्रों के कम्बाईन हार्वेस्टर से फसल कटाई कदापि न करायें, अन्यथा कम्बाईन हार्वेस्टर को सीज कर सम्बन्धित चालक के साथ-साथ कृषक का भी उत्तरदायित्व निर्धारित कर कार्यवाही की जायेगी तथा पराली/फसल अवशेष जलाने वाले कृषक को प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि एवं अन्य विभागीय योजनाओं का लाभ नहीं प्राप्त हो सकेगा।