बैंक मैनेजर व कर्मचारी के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला दर्ज करने का आदेश
फर्जी हस्ताक्षर कर 25 हजार की फिक्स डिपोजिट बनाने का आरोप
औरैया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय ने एक बैंक उपभोक्ता द्वारा प्रस्तुत प्रार्थना पत्र को स्वीकारते हुए एचडीएफसी औरैया के बैंक मैनेजर व कर्मचारी के विरुद्ध धोखाधड़ी का मामला पंजीकृत कर विवेचना कराने का आदेश जारी किया है। .उपभोक्ता द्वारा सीआरपीसी की 156 (3) धारा के तहत दिए गए प्रार्थना पत्र में उक्त बैंक मैनेजर व कर्मचारियों पर कूटरचित हस्ताक्षर बनाकर बिना सहमति व जानकारी के 25 हजार रुपये की फिक्स डिपोजिट करने का आरोप लगाया। इसके अलावा इसी बैंक के टविटर एकाउंट से साइबर उपराधियों ने दो लाख रुपये की धोखाधड़ी उससे की। तमाम शिकायतों को करने के बाद जब उपभोक्ता को राहत नहीं मिली। तब उसे न्यायालय का दरवाजा खटखटाया। जिस पर कोर्ट ने यह आदेश पारित किया। थाना अजीतमल के ग्राम बल्लापुर निवासी हरिओम शुक्ला ने 28 जुलाई 2023 को 156 (3) के तहत प्रार्थना पत्र सीजेएम कोर्ट में दायर किया। उपभोक्ता ने लिखा कि एचडीएफसी बैंक द्वारा उसके खाते से बिना मेरी जानकारी/सहमति के 25 हजार रुपये की फिक्स डिपोजिट बना दी गई। खातेदार ने बैंक के टोल फ्री नंबर पर कॉल करके सूचना दी तो कस्टमर ने अगले दिन ब्रांच में जाकर संपर्क करने को कहा। .इस पर अगले दिन उसने बैंक को प्रार्थना पत्र दिया। लेकिन उच्चाधिकारियों तक शिकायत करने पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। उपभोक्ता का कहना है कि उसने बैंक के टविटर एकाउंट पर रिजर्व बैंक को टैग करके उक्त शिकायत के संबंध में ट्विट किया तो वहां से प्रार्थी एचडीएफसी बैंक केयर्स नाम के टविटर एकाउंट से साइबर अपराधियों ने काल की व बाद में उसके खाते से 50 हजार, उसके बाद एक लाख रुपये व पुन: 50 हजार रुपये डेबिट हुए। सूचना देने पर बैंक द्वारा मेरे खाते में नो डेबिट लगा दिया गया। आरोप है कि बैंक मैनेजर व कर्मचारियों द्वारा संयुक्त रुप से षणयंत्र करके उसके साथ दो लाख 25 हजार की धोखाधड़ी की गई। इस प्रकीर्ण वाद को पहले दिनांक 18 अक्टूबर 2023 को इसी कोर्ट द्वारा निरस्त किया गया था। बाद में याची ने सत्र न्यायालय में दंड निगरानी प्रस्तुत की। जिसकी सुनवाई करके एडीजे ने उक्त निगरानी स्वीकार कर 18 अक्टूबर 2023 के आदेश को निरस्त कर दिया। पुन: सुनवाई सीजेएम कोर्ट को आदेशित किया। इस पर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट जीवक कुमार सिंह ने सुनवाई कर हरिओम शुक्ला का प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए कोतवाली को आदेशित किया कि प्रस्तुत प्रकरण में अभियोग पंजीकृत कर नियमानुसार विवेचना कराया जाना सुनिश्चित करें। कोर्ट ने लिखा कि फिक्स डिपोजिट
