यूपी के 63 जिलों में जहरीला हो रहा भूगर्भ जल
जहरीले भूगर्भ में जनपद कानपुर देहात भी शामिल
लखनऊ/ कानपुर देहात….हर क्षेत्र में विकास की छलांग लगा रही उप्र की योगी आदित्यनाथ की सरकार कोई कोर कस्सर बाकी नहीं छोड़ रही है…..जल-बल-नभ में हर वह काम हो रहे है जो आजादी के बाद अभी तक किसी ने करने को सोचा भी नहीं….इनमें से एक है खेत को पानी व पेट को पानी पहुंचाने की शानदार पहल….उ.प्र में हर घर नल से जल पहुंचाने की योजना परवान चढ़ रही है…..सफलता पूर्वक इसके लाभ सुदूर क्षेत्रों तक में लोग उठा रहे है मगर एक रिपोर्ट के मुताबिक यूपी के 63 जनपदों के भूमिगत जल में फ्लोराइड, 25 जनपदों के भूमिगत जल में आर्सेनिक एवं 18 जनपदों के भूमिगत जल में फ्लोराइड दृआर्सेनिक दोनों मानक से अधिक पाए जाने की रिपोर्ट है….जो विचलित करने वाली है… वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन उ.प्र ने आरटीआई के जवाब में जियोग्राफिकल क्वालिटी टेस्टिंग सर्वे से यह जानकारी मिली है कि पीने के पानी में मानक से अधिक फ्लोराइड तथाआमेनिक आने से गंभीर बीमारी के खतरे बढ़ गये है..,जियोग्राफिकल क्वालिटी टेस्टिंग सर्वे रिपोर्ट की भयावता को देखते हुये जिस रिपोर्ट को पोर्टल के माध्यम से सार्वजनिक होना था …उसे आज तक नहीं किया गया….केंद्र सरकार ने पीने के पानी की गुणवत्ता को ध्यान में रखते हुये वर्ष 2015-16 में 150 करोड़ की धनराशि वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन उ.प्र को दी जिससे वह उत्तर प्रदेश के प्रत्येक गांवों, कस्बों एवं शहरों के पीने के पानी के स्रोतों की जियोग्राफिकल क्वालिटी टेस्टिंग सर्वे करवाये और इस रिपोर्ट को पोर्टल के माध्यम से सार्वजानिक करे…..केंद्र सरकार ने यह भी आदेश दिया कि इस रिपोर्ट की एक हार्ड तथा सॉफ्ट कॉपी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी को भी दी जाए….जिससे वह भी अपने स्तर पर कारगर उपाय कर सकें…वाटर एंड सैनिटेशन मिशन उ.प्र ने दो एजेंसियों को इस कार्य को सौंपा जिसमें एक एडीसीसी इंफोकेड प्रा. लि. नागपुर थी। एजेंसियों ने अपनी सर्वे रिपोर्ट की हार्ड कॉपी प्रदेश के सभी जनपदों के मुख्य विकास अधिकारी को दी तथा सॉफ्ट कॉपी वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन उप्र को दी…इस सर्वे रिपोर्ट के अनुसार 63 जनपदों में फ्लोराइड मानक से अधिक 3 पीपीएम तक है एवं आर्सेनिक 25 जनपदों में मानक से अधिक 1 पीपीएम तक है। जनपदों के मुख्य विकास अधिकारियों को सर्वे रिपोर्ट का 60 प्रतिशतसत्यापन अपने स्तर पर करवाना था….लेकिन अधिकतर जनपदों में यह सर्वे रिपोर्ट आजतक अलमारियों में बंद है….सर्वे रिपोर्ट को राज्य पेयजल एवं स्वच्छता मिशन को सॉफ्ट कॉपी का उपयोग करते हुये पोर्टल तैयार करना था….लेकिन पोर्टल भी तैयार नहीं किया जा सका….भारतीय मानक ब्यूरो अनुसार पीने के पानी में फ्लोराइड को बाछनीय मान्य सीमा 1.0 पीपीएम तथा अधिकतम मान्य सीमा 1.5 पीपीएम तथा आसेनिक की मान्य सीमा 0.01 पीपीएम तथा अधिकतम मान्य सीमा 0.05 पीपीएम है वाटर एण्ड सेनिटेशन मिशन, उग्र ने आरटीआई में जानकारी दी है कि फ्लोराइड से प्रभावित जनपदों अधिक 1 पीपीएम तक है। मानक से अधिक पीने के पानी में फ्लोराइड से घातक रोग फ्लोरोसिस हो जाता है जो दन्त क्षरण, जोड़ों में अकड़न तथा हड्डियों में मुडाव ला देता है….इसी तरह पीने के पानी में मानक से अधिक आर्सेनिक त्वचा रोग एवं कैंसर देता है…
फ्लोराइड तथा आर्सेनिक प्रभावित बस्तियों में नागरिकों पर पड़े प्रभावों तथापरिणामों का मूल्यांकन मिशन के स्तर से तो कराया ही नहीं गया….स्वास्थ्य मंत्रालय ने भी इस सर्वे रिपोर्ट पर कोई कार्य नहीं किया….आरटीआई से मिली जानकारी की सूचना रजिस्टर्ड डाक द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भेजी गयी….प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस सूचना को शिकायत मानते हुए मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर निस्तारण को प्रेषित कर दी…..
प्रधानमन्त्री कार्यालय ने सन्दर्भ संख्या PMOPG/D/2019 दिया जबकि मुख्यमंत्री जनसुनवाई पोर्टल पर शिकायत को सन्दर्भ संख्या 6000190107115 दिया गया…..प्रधानमन्त्री कार्यालय से भेजी गयी शिकायत को तीन माह बाद बिना समझे, बिना पढ़े ही कानपुर नगर से निस्तारित कर दिया गया….नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देश की 84 प्रतिशत आबादी को सुरक्षित नलों से घरों तक पानी उपलब्ध नहीं कराया जाता है…पीने का १० प्रतिशत पानी हैंड पम्प या सबमर्शियल के माध्यम से जमीन के अन्दर से ही लिया जाता है….अतिदोहन के चलते भूमिगत जलस्तर खत्म होने की कगार पर पहुँच गया है …जिसके परिणाम स्वरुप पानी में ऐसे तत्व आ रहे हैं जो मानक से अधिक है…फ्लोराइड प्रभावित जनपदों की सूची आगरा, अलीगढ़, अम्बेडकर नगर, अमेठी, औरैया, बागपत, बहराइच, बलरामपुर, बाँदा, चाराबंकी, बिजनौर, बदायूँ, बुलंदशहर, चन्दौली, चित्रकूट, एटा, इटावा, फैजाबाद, फरुखाबाद, फतेहपुर, फिरोजाबाद, गौतम बुद्ध नगर, गाजियाबाद, गाजीपुर, गोंडा, हमीरपुर, हापुड़, हरदोई, जालौन, जौनपुर, झाँसी, ज्योतिबाफुलेनगर, कनौज, कानपुर देहात, कानपुर नगर, कासगंज, कौशाम्बी, लखीमपुर खीरी, ललितपुर, लखनऊ, महामायानगर, महाराजगंज, महोबा, मैनपुरी, मथुरा, मेस्त, मिर्जापुर, मुजफ्फरनगर, प्रतापगढ़, रायबरेली, रामपुर, सहारनपुर, संभल, संतकबीर नगर, संतरविदास नगर, शाहजहाँपुर, शामली, आचस्ती, सीतापुर, सोनभद्र, सुल्तानपुर, उाव तथा वाराणसी आसनिक प्रभावित जनपदों कि सूची अलीगढ़, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बाराबंकी, देवरिया, फैजावाद, गाजीपुर, गोंडा, गोरखपुर, जौनपुर, झाँसी, ज्योतिबाफुलेनगर, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, महाराजगंज, मथुरा, मिर्जापुर, पीलीभीत, संतकबीर नगर, शाहजहाँपुर, सिद्धार्थ नगर, सीतापुर, तथा उन्नाव आर्सेनिक तथा फ्लोराइड दोनों से प्रभावित जनपदों की सूची- अलीगढ़, बहराइच, बाराबंकी, फैजाचाद, गाजीपुर, गोडा, जौनपुर, झाँसी, ज्योतिबाफुलेनगर, लखीमपुर खीरी, लखनऊ, महाराजगंज, मध्य, मिर्जापुर, संतकबीर नगर, शाहजहाँपुर, सीतापुर तथा उन्नाव है…. सरकारें देश के नागरिकों के हितों को ध्यान में रख कितनी भी कारगर योजनाएं लाये लेकिन यदि ब्यूरोक्रेट्स द्वारा क्रियान्वयन में कोताही हुई तो सरकारों पर जनसामान्य का भरोसा टूटेगा….
सरकारों में बैठे जनप्रतिनिधि सत्ता का सुख भोगने लगते हैं। योजनायें बनाने के बाद वह जमीनी हकीकत क्या है इसपर ध्यान ही नहीं देते। लोक सेवा आयोग से चयनित अधिकतर आईएएस लोक सेवक नहीं एक राजा जैसा व्यवहार करने लगे हैं। उनके मातहत किस गुणवता का कार्य कर रहे उन्हें नहीं मालूम है। पीने के पानी जैसी समस्या भी जनप्रतिनिधि तथा ब्यूरोक्रेट्स के एजेंडे में वरीयता सूची में नहीं है। उप राज्य के 75 जनपदों के सापेक्ष 63 जनपदों के भूमिगत जल में मानक से अधिक फ्लोराइड तथा 25 जनपदों में आर्सेनिक आ चुका है फिर भी न तो जनप्रतिनिधि और न ही व्यूरोक्रेट्स ने इस समस्या को गंभीरता से लिया है….प्रधानमंत्री को लिखा पत्र भी समस्या का निराकरण नहीं कर सका…. केंद्र सरकार ने पानी को समस्या को दृष्टिगत रख भले हो जल शक्ति मंत्रालय बना दिया हो लेकिन क्या मंत्रालय बनाने भर से पीने के पानी की समस्या का निराकरण हो जायेगा ऐसा होता तो निश्चित अतिरिक्त मंत्रालय बनाने भर से ही सभी समस्याओं का हल अभी तक हो चुका होता…