कंपोजिट ग्रांट हुई जारी हेड मास्टर रजिस्टर्ड फर्म से जल्द से जल्द करें खरीदारी
कानपुर देहात…..परिषदीय स्कूलों की 50 फीसदी कम्पोजिट ग्रांट (विद्यालय के रखरखाव पर खर्च होने वाली राशि) जारी कर दी गई है। शासन ने इसके खर्च करने के नियम सख्त कर दिए हैं। यह धनराशि खर्च करने से पहले हेडमास्टर को कार्ययोजना व जीएसटी बिल पोर्टल पर अपलोड करना होगा। रजिस्टर्ड फर्म से ही स्कूल में उपयोग होने वाली सामग्री को खरीदा जाएगा यह भी ध्यान रखना होगा कि उक्त फर्म के पास जीएसटी नंबर अनिवार्य रूप से होना चाहिए।अफसरों की संस्तुति के बाद यह धनराशि दुकानदार के बैंक खाते में सीधे भेजी जाएगी। परिषदीय स्कूलों के रखरखाव व रंगाई-पुताई के लिए प्रत्येक वर्ष शासन से प्रबंध समितियों के खाते में तय धनराशि भेजी जाती है। अधिकतर हेडमास्टर यह धनराशि मनमाने तरीके से निकालकर खर्च करते थे। इससे स्कूलों की दशा जीर्ण-शीर्ण बनी रह जाती थी। हेडमास्टरों की इस मनमानी पर रोक के लिए शासन ने पिछले शैक्षिक सत्र से यह धनराशि खर्च करने का नियम संशोधित कर ऑनलाइन कर दिया है। अब कम्पोजिट ग्रांट खर्च करने से पहले हेडमास्टर को मद बताना होगा, इसके बाद मद की कार्ययोजना तैयार कर किसी दुकानदार से जीएसटी बिल लेकर पोर्टल पर अपलोड करना होगा।कार्ययोजना की संस्तुति के बाद हेडमास्टर के मोबाइल पर ओटीपी मिलेगा। इसी ओटीपी से संबंधित दुकानदार के बैंक खाते में कार्ययोजना तैयार कर किसी दुकानदार से जीएसटी बिल लेकर पोर्टल पर अपलोड करना होगा। स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर 10 फीसदी धनराशि अनिवार्य रूप से खर्च करनी होगी। इसमें टायलेट क्लीनर, साबुन, झाड़ू, डस्टबिन, फिनायल आदि खरीदा जा सकेगा। वहीं शौचालय में टूट फूट की रिपेयरिंग भी कराई जा सकती है।फर्स्ट एड बाक्स, अग्निशमन यंत्रों की रिफलिंग सहित अन्य उपकरण खरीदे जा सकते हैं। इसके अलावा स्कूलों की रंगाई पुताई, दरवाजे खिड़कियों व ग्रिल की पेंटिंग कराई जाएगी। इसके अलावा स्मार्ट क्लास को लेकर उपकरण खरीदे जा सकते हैं। जारी आदेश में यह भी कहा गया है कि अगर पिछले साल की धनराशि शेष है तो वह भी इस साल की धनराशि के साथ खर्च कर सकते हैं। सभी खर्चों के बिल बाउचर तैयार करके प्रेरणा पोर्टल पर दर्ज करना होगा।