मलाई खाने के फेर में शत्रु संपत्ति का हुआ सौदा अफसर अंजान,
पाकिस्तान में रहने वाली जाफरी बेगम की जमीन का फर्जी अभिलेख तैयार कर बेचने का मामला
विजय शंकर कौशल ✍️……….
कानपुर देहात। भोगनीपुर तहसील के मांवर में मृतक पाकिस्तानी की शत्रु संपत्ति की मलाई खाने के फेर में नियमों की अनदेखी की गई। हालात ये हुए कि सरकारी तंत्र भी आंख मूंदे रहा और करोड़ों की जमीन कागजों में हेरफेर कर बिक्री कर दी गई। अब मामला खुला है तो पूरे प्रकरण में संलिप्तों में खलबली मची है।
भोगनीपुर तहसील में कई जगह शत्रु संपत्ति का होना बताया जा रहा है। जानकारों की माने तो जिनकी कीमत करोड़ों में है। जमीन सरकारी रिकार्ड में शत्रु संपत्ति में दर्ज नहीं हुई तो साठगांठ कर खरीद फरोख्त का खेल शुरू हो गया। कई मामलों की शिकायतें भी हुई। मगर जिम्मेदार मलाई खाने के फेर में अनदेखी किए रहे।
मामला सामने आया तो खलबली मची हुई है। प्रशासन पूरे मामले की जांच करा कर संलिप्त भूमाफिया की कुंडली खंगाल रहा है। बता दें कि मांवर निवासी जाफरी बेगम पत्नी अली अहमद 1947 से एक जनवरी 1952 के बीच पाकिस्तान चली गई। जिनकी मांवर में गाटा संख्या 785 रकबा 0.8090 हेक्टेयर व गाटा संख्या
इधर पाकिस्तान में रहने वाली जाफरी बेगम की कीमती जमीन फर्जी अभिलेख तैयार कर बेचने का 787 रकबा 0.8190 हेक्टेयर कुल आठ बीघा भूमि की संक्रमणीय भूमिधर थी। मगर भूमि को शत्रु संपत्ति दर्ज नहीं की गई। इस बीच मांवर निवासी एजाज अहमद ने कूटरचित मृत्यु प्रमाण पत्र प्रस्तुत कर वरासत भूमि अपने नाम दर्ज करा ली।
जिसको तत्कालीन तहसीलदार के निर्देश पर दर्ज किया गया। इसके एक सप्ताह बाद उसी भूमि को मांवर निवासी फरहान पत्नी सदरूल इस्लाम को बेच दी गई। जिसकी लिखापढ़ी तहसील स्थित रजिस्ट्रार ऑफिस में की गई। वारिशान में तत्कालीन लेखपाल मोहित सचान पर साठगांठ कर बयान दिए जाने के मामले को संज्ञान लेकर तस्करा डाला गया। वहीं पूर्व में रिपोर्ट कर्ता मोहम्मद रईस के समझौता किए जाने पर उनको भी आरोपी बनाया गया। इस पूरे मामले में लेखपाल अनुज कुमार की तहरीर पर एजाज अहमद, फरहाना, सदरूल इस्लाम, अधिवक्ता पुष्कल पराग दुबे के नाम रिपोर्ट दर्ज की गई। एसडीएम सर्वेश कुमार ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कराई गई है। पुलिस जांच करेगी।