मुख्यमंत्री ने स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के प्रस्तुतिकरण का अवलोकन किया
प्रधानमंत्री जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा आम आदमी
के ईज़ ऑफ़ लिविंग के लिए अनेक प्रयास किये गए : मुख्यमंत्री
एक ही परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे,
जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिजनों के नाम
किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क 5,000 रु0 निर्धारित किया जाए
न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच आपसी सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा
संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण
से लोगों को और अधिक सुविधा प्राप्त होगी
विजय शंकर कौशल ✍️………….
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने आज यहां अपने सरकारी आवास पर आयोजित एक बैठक में स्टाम्प एवं रजिस्ट्रेशन विभाग के प्रस्तुतिकरण का अवलोकन किया। बैठक में मुख्यमंत्री जी ने विभागीय अधिकारियों को निर्देशित किया कि एक ही परिवार के सदस्यों के बीच अचल संपत्ति के बंटवारे तथा जीवित व्यक्ति द्वारा अपनी संपत्ति को अपने परिजनों के नाम किए जाने पर देय स्टाम्प शुल्क 5,000 रुपये निर्धारित किया जाए। उन्होंने कहा कि अधिक खर्च के कारण प्रायः परिवार में विभाजन की स्थिति में विवाद उत्पन्न होता है तथा कोर्ट केस भी होते हैं। न्यूनतम स्टाम्प शुल्क होने से परिवार के बीच आपसी सेटलमेंट आसानी से हो सकेगा।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार द्वारा आम आदमी के ईज़ ऑफ़ लिविंग के लिए अनेक प्रयास किये गए हैं। संपत्ति विभाजन और व्यवस्थापना प्रक्रिया में सरलीकरण से लोगों को और अधिक सुविधा प्राप्त होगी।
ज्ञातव्य है कि मात्र 5,000 रुपये के स्टाम्प शुल्क के साथ अपनी अचल संपत्ति को रक्तसम्बन्धियों के नाम करने की बड़ी सहूलियत देने के पश्चात प्रदेश में अब पारिवारिक विभाजन और व्यवस्थापन में भी बड़ी सुविधा मिलने जा रही है।
यह भी उल्लेखनीय है कि विभाजन विलेख में सभी पक्षकार विभाजित सम्पत्ति में संयुक्त हिस्सेदार होते हैं एवं उनके मध्य विभाजन होता है। विभाजन विलेख में प्रस्तावित छूट एक ही मृतक व्यक्ति के समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स, जो सहस्वामी हों, को आच्छादित करेगी अर्थात यदि दादा की मूल सम्पत्ति में वर्तमान जीवित हिस्सेदार चाचा/भतीजा/भतीजी हैं, तो वह इसका उपयोग कर सकते हैं।
व्यवस्थापन विलेख में व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार ‘जीवित’ अपनी व्यापक सम्पत्ति को कई पक्षकारों के मध्य निस्तारित करता है। व्यवस्थापन विलेख में प्रस्तावित छूट के अधीन व्यवस्थापन कर्ता पक्षकार अपने समस्त लीनियल डीसेंडेंट्स/डीसेंडेंट्स, जो किसी भी पीढ़ी के हों, के पक्ष में व्यवस्थापन कर सकता है। अर्थात सम्पत्ति, यदि परदादा परदादी जीवित हों, तो उनके पक्ष में, एवं यदि प्रपौत्र/प्रपौत्री जीवित हों, तो उनके पक्ष में भी की जा सकती है।