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औरैया कस्बा और आसपास के ग्रामीण इलाकों में बंदरों का आतंक

बंदरों के हमले से डेढ़ दर्जन लोग जख्मी

अजीतमल,औरैया

कस्बा और आसपास के ग्रामीण इलाकों में बंदरों का आतंक लगातार बढ़ता जा रहा है। सीएचसी से प्राप्त आंकड़ों केअनुसार, बीते एक सप्ताह में करीब डेढ़ दर्जन लोग बंदरों के हमले का शिकार होकर घायल हुए हैं।
अजीतमल-बाबरपुर कस्बा सहित आसपास के क्षेत्रों में बंदर अक्सर छोटे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों को निशाना बना रहे हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि प्रशासन की ओर से इस पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। एक ओर जहां सरकार पशु-पक्षियों की सुरक्षा के लिए योजनाएं चला रही है, वहीं क्षेत्र में बढ़ती बंदरों की संख्या आम जनजीवन के लिए संकट बन गई है। लोगों में भय का आलम यह है कि बच्चे घर के बाहर खेलने तक से डर रहे हैं। बाजार से सामान लाना भी मुश्किल हो गया है, क्योंकि पन्नी देखकर बंदर हमला कर देते हैं। कई बार तो इनके हमले जानलेवा भी साबित हो जाते हैं।
घायल हुए लोग
पिछले एक सप्ताह में बंदरों के हमले से घायल हुए लोगों में नगला भोज के किशन (6), चपटा के अर्पित (14), अटसु की रिया (7), भीखेपुर की नंदिनी (10), पूठा की नव्या (14), सोनासी के अमन (14), बाबरपुर के शिवेंद्र (28), दलेल नगर के नसीम (38), विरुहुनी के सिद्धार्थ (66), प्रेम नगर के धर्मेंद्र (63), पचदेवरा के अतुल (27), बाबरपुर के रामसेवक (65), सतेडी के आनंद कुमार (50), दलेल नगर के साहिब (20), अजीतमल के एस.एन. चंद्र (83), बाबरपुर की शिवानी (18), हजारीपुर की सुमन (42), बाबरपुर के दीपु (26) और संजय (21) शामिल हैं।
इनमें अधिकतर बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग हैं।
प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रिया
इस संबंध में अजीतमल रेंज के क्षेत्रीय वनाधिकारी ने कहा कि यह जिम्मेदारी ग्राम पंचायत और नगर पंचायत की है। वहीं, नगर पंचायत अध्यक्ष आशा चक ने बताया कि बरसात के बाद दूसरे चरण में अभियान चलाकर बंदरों को पकड़ा जाएगा।
प्रमुख बिंदु
अजीतमल और आसपास क्षेत्र में बंदरों का आतंक बढ़ा। एक सप्ताह में करीब 18 लोग घायल। ज्यादातर शिकार बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग बनें। वन विभाग ने जिम्मेदारी नगर पंचायत और ग्राम पंचायतों पर डाली। नगर पंचायत अध्यक्ष बोली- बरसात के बाद अभियान चलेगा।

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