Breaking News

सरकारी अस्पताल में एंबुलेंस के अभाव मेंं नवजात ने तड़प-तड़प कर तोड़ा दम औरैया 18 अगस्त 2025

सरकारी अस्पताल में एंबुलेंस के अभाव मेंं नवजात ने तड़प-तड़प कर तोड़ा दम

औरैया 18 अगस्त 2025

सोमवार को शहर के जिला अस्पताल में एंबुलेंस सेवा की बड़ी लापरवाही उस समय देखने को मिली जब एंबुलेंस के अभाव में एक नवजात शिशु ने तड़प-तड़प कर दम तोड़ दिया। यहां परिजन 1 घंटे से भी अधिक समय तक एंबुलेंस के लिए फोन करते रहे लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं मिल सकी।
प्राप्त विवरण के अनुसार शहर के मोहल्ला रजा नगर निवासी सिराजुद्दीन की पत्नी करीना को सोमवार की दोपहर करीब 12 बजे अचानक से प्रसव पीड़ा हुई। परिजन जब तक उसे लेकर अस्पताल पहुंचते तब तक घर पर ही करीना ने एक बच्चें को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्चें की हालत सही न लगने पर परिजन आनन-फानन में अपराह्न करीब 2:50 पर बच्चें को लेकर शहर के 50 शैय्या जिला अस्पताल पहुंचे। यहां ड्यूटी पर तैनात चिकित्सकों व नर्सिंग स्टाफ ने बच्चें की हालत नाजुक होने के चलते उसे प्राथमिक उपचार व ऑक्सीजन आदि देने के बाद मेडिकल कॉलेज चिचोंली के लिए रेफर किया। यहां यह भी बता दें कि बच्चें का ऑक्सीजन लेवल काफी कम था। इसलिए उसे रास्ते में ऑक्सीजन की जरूरत थी। अतः परिजनों ने 3 बजे 108 एवं 102 एंबुलेंस सेवा पर फोन किया। इसके बाद बार-बार एंबुलेंस के लिए फोन करते रहे लेकिन उन्हें अंत तक एंबुलेंस नहीं मिल सकी। इधर बच्चें की हालत ज्यादा बिगड़ गई। डाक्टर समेत पूरा चिकित्सकीय स्टाफ बच्चें को बचाने की कवायद में जुटा रहा। वह लगातार बच्चें को सीपीआर व अन्य जरूरी सुविधाएं देते रहें, लेकिन एक बार फिर एंबुलेंस के अभाव में एक नवजात शिशु जन्म लेते ही काल के गाल में समा गया। बच्चें की मौत के बाद परिजन रोते-बिलखते और एंबुलेंस सेवा के लिए खरी खोटी कहते हुए वापस घर चले गयें। ड्यूटी पर तैनात चिकित्सक डॉक्टर प्रियेश प्रताप ने बताया कि बच्चा गैसपिन कंडीशन (त्वरित उपचार योग्य एक गंभीर हालत) में अस्पताल आया था जिसके चलते प्राथमिक उपचार के बाद उसे रेफर किया गया था।
मिल जाती एंबुलेंस तो बच जाती नवजात की जान
*औरैया 18 अगस्त।

आज एक बार फिर बदहाल एंबुलेंस सेवा के चलते एक नवजात जन्म लेते ही काल के गाल में समा गया। नवजात करीब एक डेढ़ घंटे जिला अस्पताल में ही जिंदगी और मौत से जूझता रहा, लेकिन उसे जीवन रूपी एम्बुलेंस नहीं मिल सकी। चिकित्सकों के अनुसार बच्चा गेस्पिन कंडीशन में था। उसे लगातार ऑक्सीजन के साथ त्वरित और पीडियाट्रिक उपचार की आवश्यकता थी, जिसके चलते उसे चिचोली मेडिकल कॉलेज रेफर किया था। इधर रेफर करने के बाद से परिजन लगातार एंबुलेंस को फोन करते रहे लेकिन उन्हें एंबुलेंस नहीं मिल सकी। अस्पताल में मौजूद लोग यही कह रहे थे कि यदि बच्चें को एंबुलेंस मिल जाती तो शायद उसकी जान बच सकती थी।
*इनसेट-02 * *एंबुलेंस सेवा कमियों को कर रही उजागर औरैया

सोमवार 18 अगस्त को जिला अस्पताल में एंबुलेंस के अभाव में जिस तरह से एक नवजात शिशु ने दम तोड़ दिया वह निश्चित ही कहीं ना कहीं एम्बुलेंस सेवा की कमियों को उजाग़र कर रहा है। लेकिन इसका एक अन्य पहलू यह भी है कि अधिकांश लोग सर दर्द, साधारण बुखार व अन्य कई छोटी-छोटी साधारण समस्याओं पर भी एंबुलेंस को फोन कर देते हैं। जिसके चलते एंबुलेंस इन मरीजों को अस्पताल तक पहुंचने में लगी रहती है और जिस मरीज को वाकई में एंबुलेंस की ज्यादा जरूरत है उसे यह सेवा नहीं मिल पाती। जिसके चलते मरीजों को अक्सर हताहत होना पड़ता है। एंबुलेंस सेवा जन मानस में कर्मियों को उजागर कर रही है।

About sach-editor

Check Also

कानपुर देहात उर्वरक की बिक्री करने वाले प्रतिष्ठानों का औचक किया निरीक्षण,

कानपुर देहात उर्वरक की बिक्री करने वाले प्रतिष्ठानों का औचक किया निरीक्षण, तीन उर्वरक विक्रेताओं …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *