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औरैया-फूलगंज रामलीला स्थल बदलने में आखिर जिम्मेदार कौन?

फूलगंज रामलीला स्थल बदलने में आखिर जिम्मेदार कौन?

ऐतिहासिक स्थल पर रामलीला नहीं होने से नगर की जनता में हो रही तरह-तरह की चर्चाएं

रामलीला चबूतरा मंच पर गंदगी का अंबार लोगों में पनप रहा आक्रोश

फूलगंज रामलीला स्थल बदलने में आखिर जिम्मेदार कौन?

ऐतिहासिक स्थल पर रामलीला नहीं होने से नगर की जनता में हो रही तरह-तरह की चर्चाएं

रामलीला चबूतरा मंच पर गंदगी का अंबार लोगों में पनप रहा आक्रोश

औरैया। काफी जद्दोजहद के बाद रामलीला के लिए फूलगंज मैदान निर्धारित किया गया। कुछ समय तक यहां रामलीला का आयोजन होता रहा, लेकिन कुछ लोगों ने फूलगंज स्थित रामलीला मैदान की जगह बदलकर प्रदर्शनी स्थल तिलक नगर कर दी, जिससे नगर के लोगों में परस्पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। जनता जानना चाहती है कि इस फूलगंज मैदान की रामलीला स्थल को परिवर्तित करने के पीछे आखिर जिम्मेदार कौन है? फूलगंज स्थित रामलीला चबूतरा पर गंदगी का अंबार देखा जा सकता है। इतना ही नहीं यह रामलीला स्थल धीरे-धीरे विलुप्त होने की ओर बढ़ रहा है। शहर के लोगों का मानना है कि फूलगंज मैदान रामलीला के लिए अत्यधिक उपयुक्त है, क्योंकि यह शहर के बीच में है, जिससे शहर के लोग सुगमता पूर्वक और सुरक्षित उपरोक्त स्थान पर रामलीला का लुफ्त उठाते रहे। स्थान परिवर्तन करने से शहर के लोग अपेक्षाकृत नए रामलीला स्थल पर नहीं पहुंचते हैं, यदि यही हाल रहा तो धीरे-धीरे फूलगंज स्थित रामलीला प्रांगण विलुप्त होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। रामलीला कमेटी के पदाधिकारीयों को इस पर संज्ञान लेने की महती आवश्यकता है।
कमोवेश 35 बर्ष पहले वह समय था जब शहर में रामलीला कराने के लिए कोई भी स्थान निर्धारित नहीं था। ऐसी स्थिति में होमगंज स्थित हलवाई खाना तिराहा पर रामलीला का आयोजन हो रहा था। रामलीला प्रागण के लिए जनता जनार्दन आवाज उठा रही थी। इस स्थिति को देखते हुए तत्कालीन संघर्ष समिति बनी जिसमें दुर्गा प्रसाद वाजपेई, पूर्व पालिका अध्यक्ष धर्मेश दुबे, गिरजानंद दुबे, के साथ ही तत्कालीन एसडीएम आरके भटनागर एवं इंस्पेक्टर रामतीरथ सिंह ने जनता का साथ दिया। फूलगंज में रामलीला प्रांगण बनाया गया। इस स्थल पर कुछ लोग कब्जा कर रहे थे, जिसे संघर्ष समिति द्वारा हटवाया गया। बताया जाता है कि शुरुआती दौर में शहर के लोग ही रामलीला का अभिनय कर मंचन करते थे। बाद में रामलीला के लिए बाहर से कलाकार आने लगे। तत्समय रामलीला कमेटी में सत्यनारायण दुबे, किशनू मुखिया, उमाशंकर मिश्रा, किशन बिहारी चतुर्वेदी उर्फ (चच्चू) आदि अपनी अहम भूमिका निभाते रहे।
बताते चलें कि सन 1975 में रामलीला के लिए फूलगंज मैदान सार्वजनिक होने पर यहां रामलीला होने लगी। इतना ही नहीं रामलीला बाधित होने पर 2 वर्ष पत्रकारों ने रामलीला का आयोजन कराया जिसमें अनुराग तिवारी उर्फ डेनी, सुरेश मिश्रा मुख्य आयोजक रहे। इसके साथ ही अन्य पत्रकारों ने भी साथ दिया। फूलगंज मैदान में निर्बाध रामलीला का आयोजन हो रहा था। यह स्थान शहर के बीच में होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचते थे। वर्तमान रामलीला कमेटी ने फूलगंज रामलीला का स्थान बदलकर प्रदर्शनी स्थल तिलक नगर कर दिया। जिससे फूलगंज रामलीला मैदान मंच चबूतरा गंदगी की भेंट चढ़ गया। इस रामलीला मंच चबूतरा पर गंदगी का आलम देखा जा सकता है। फूलगंज से रामलीला स्थल बदलने को लेकर शहर के लोग प्रदीप दुबे, संजू पांडे, हरिओम वर्मा, पिंटू मिश्रा व नमन गुप्ता के अलावा अन्य नगरवासियों ने अपनी प्रक्रियाएं देते हुए रामलीला चबूतरा मंच से गंदगी हटाई जाने एवं रामलीला स्थल नहीं बदलने के लिए वक्तव्य दिए हैं। देखना है कि नई रामलीला समिति इस संबंध में क्या कदम उठाती है?

काफी जद्दोजहद के बाद रामलीला के लिए फूलगंज मैदान निर्धारित किया गया। कुछ समय तक यहां रामलीला का आयोजन होता रहा, लेकिन कुछ लोगों ने फूलगंज स्थित रामलीला मैदान की जगह बदलकर प्रदर्शनी स्थल तिलक नगर कर दी, जिससे नगर के लोगों में परस्पर तरह-तरह की चर्चाएं हो रही हैं। जनता जानना चाहती है कि इस फूलगंज मैदान की रामलीला स्थल को परिवर्तित करने के पीछे आखिर जिम्मेदार कौन है? फूलगंज स्थित रामलीला चबूतरा पर गंदगी का अंबार देखा जा सकता है। इतना ही नहीं यह रामलीला स्थल धीरे-धीरे विलुप्त होने की ओर बढ़ रहा है। शहर के लोगों का मानना है कि फूलगंज मैदान रामलीला के लिए अत्यधिक उपयुक्त है, क्योंकि यह शहर के बीच में है, जिससे शहर के लोग सुगमता पूर्वक और सुरक्षित उपरोक्त स्थान पर रामलीला का लुफ्त उठाते रहे। स्थान परिवर्तन करने से शहर के लोग अपेक्षाकृत नए रामलीला स्थल पर नहीं पहुंचते हैं, यदि यही हाल रहा तो धीरे-धीरे फूलगंज स्थित रामलीला प्रांगण विलुप्त होने से इनकार नहीं किया जा सकता है। रामलीला कमेटी के पदाधिकारीयों को इस पर संज्ञान लेने की महती आवश्यकता है।
कमोवेश 35 बर्ष पहले वह समय था जब शहर में रामलीला कराने के लिए कोई भी स्थान निर्धारित नहीं था। ऐसी स्थिति में होमगंज स्थित हलवाई खाना तिराहा पर रामलीला का आयोजन हो रहा था। रामलीला प्रागण के लिए जनता जनार्दन आवाज उठा रही थी। इस स्थिति को देखते हुए तत्कालीन संघर्ष समिति बनी जिसमें दुर्गा प्रसाद वाजपेई, पूर्व पालिका अध्यक्ष धर्मेश दुबे, गिरजानंद दुबे, के साथ ही तत्कालीन एसडीएम आरके भटनागर एवं इंस्पेक्टर रामतीरथ सिंह ने जनता का साथ दिया। फूलगंज में रामलीला प्रांगण बनाया गया। इस स्थल पर कुछ लोग कब्जा कर रहे थे, जिसे संघर्ष समिति द्वारा हटवाया गया। बताया जाता है कि शुरुआती दौर में शहर के लोग ही रामलीला का अभिनय कर मंचन करते थे। बाद में रामलीला के लिए बाहर से कलाकार आने लगे। तत्समय रामलीला कमेटी में सत्यनारायण दुबे, किशनू मुखिया, उमाशंकर मिश्रा, किशन बिहारी चतुर्वेदी उर्फ (चच्चू) आदि अपनी अहम भूमिका निभाते रहे।
बताते चलें कि सन 1975 में रामलीला के लिए फूलगंज मैदान सार्वजनिक होने पर यहां रामलीला होने लगी। इतना ही नहीं रामलीला बाधित होने पर 2 वर्ष पत्रकारों ने रामलीला का आयोजन कराया जिसमें अनुराग तिवारी उर्फ डेनी, सुरेश मिश्रा मुख्य आयोजक रहे। इसके साथ ही अन्य पत्रकारों ने भी साथ दिया। फूलगंज मैदान में निर्बाध रामलीला का आयोजन हो रहा था। यह स्थान शहर के बीच में होने के कारण सुरक्षा की दृष्टि से महत्वपूर्ण रहा है। जिसमें बड़ी संख्या में दर्शक पहुंचते थे। वर्तमान रामलीला कमेटी ने फूलगंज रामलीला का स्थान बदलकर प्रदर्शनी स्थल तिलक नगर कर दिया। जिससे फूलगंज रामलीला मैदान मंच चबूतरा गंदगी की भेंट चढ़ गया। इस रामलीला मंच चबूतरा पर गंदगी का आलम देखा जा सकता है। फूलगंज से रामलीला स्थल बदलने को लेकर शहर के लोग प्रदीप दुबे, संजू पांडे, हरिओम वर्मा, पिंटू मिश्रा व नमन गुप्ता के अलावा अन्य नगरवासियों ने अपनी प्रक्रियाएं देते हुए रामलीला चबूतरा मंच से गंदगी हटाई जाने एवं रामलीला स्थल नहीं बदलने के लिए वक्तव्य दिए हैं। देखना है कि नई रामलीला समिति इस संबंध में क्या कदम उठाती है?

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