कानपुर
घाटमपुर के बेहटा बुजुर्ग गांव में 18 वर्ष पहले संपत्ति विवाद के चलते वीरेंद्र सिंह की हुई हत्या का मामला
चश्मदीद बेटों – नाबालिक बेटी की गवाही ने दोषियों को दिला दी गुनहगारों को उनकी गुनाहों की सजा
कानपुर देहात
घाटमपुर के बेहटा बुजुर्ग गांव में अब से करीब 18 वर्ष पहले संपत्ति के विवाद में वीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में दोषियों को उनके गुनाहों की सजा दिलाने में नाबालिक बेटी की गवाही एवं चश्मदीद बेटों की गवाही अहम रही,,, माननीय न्यायालय ने अपने फैसले में तीनों के स्वाभाविक गवाह होने की बात कही है,, घाटमपुर क्षेत्र के बेहटा बुजुर्ग गांव में 29 अप्रैल 2007 की शाम को करीब 6:30 बजे वीरेंद्र सिंह के दरवाजे पर शस्त्रों से लैस होकर दिवंगत जज शिवबरन सिंह एवं उनकी पत्नी नीलम तथा बेटे यशोवर्धन और जयवर्धन पहुंचे हमले में वीरेंद्र की मौत हो गई और उनका बेटा नवनीत जो सेना में था वह घायल हो गया दूसरे बेटे विशाल पर भी तमंचे से फायर किया गया लेकिन वह बाल बाल बच गया इस मामले में पुलिस की ओर से नव गवाह साक्ष्य के तौर पर प्रस्तुत किए गए इसमें सबसे बड़ी गवाही नवनीत और विशाल के साथ उसे वक्त नाबालिक रही बेटी अंजलि की रही, तीनों की गवाही सजा का आधार बनी माननीय न्यायालय ने अपने फैसले में इस बात का जिक्र किया है की घटना का दिन रविवार होने के कारण पूरे परिवार का एक साथ होना आश्चर्य की बात नहीं है वही नवनीत के अवकाश पर आने की बात भी प्रमाणित है उसे वक्त अंजलि की उम्र करीब 11 12 वर्ष रही होगी रविवार होने के कारण आरोपित पक्ष भी अपने पैतृक गांव आया होगा बेटों बेटी की गवाही स्वाभाविक है बचाव पक्ष की ओर से पूछे गए तमाम तरह के प्रश्नों के जवाब में कुछ अंतर हो सकता है लेकिन मुख्य तथ्य पर तीनों गवाह डटे रहे बचाव पक्ष के अलावा अभियोजन की ओर से एडीजी सी विवेक त्रिपाठी और वादी के अधिवक्ता सुबोध त्रिपाठी ने सख्त सजा की मांग की आरोपितों के जिला कारागार कानपुर देहात से वर्चुअल हाजिर होने पर माननीय न्यायालय ने सजा सुनाई