कानपुर
कोर्ट ने सख्त टिप्पणी के साथ सुनाया फैसला, 45 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया
जानते हुए भी बरती लापरवाही, इसलिए सख्त सजा…ई-बस चालक को उम्रकैद
कानपुर
अभियुक्त ई-बस का चालक है। वह अच्छी तरह जानता था कि भीड़भाड़ वाले रास्ते पर तेजी से बस चलाएगा तो दुर्घटना हो सकती है। इसके बावजूद उसने लापरवाही बरती, जिससे छह लोगों की मौत और 18 लोग घायल हो गए। अभियुक्त का अपराधगंभीर है, इसलिए वह सख्त सजा का हकदार है।
इसी टिप्पणी के साथ माननीय अपर जिला जज 14 ने टाटमिल चौराहे के पास हुए हादसे में सोमवार को दोषी करार दिए गए ई-बस चालक को उम्रकैद और 45 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुना दी। घटना 30 जनवरी 2022 की है। हादसे में घायल हुए धनकुट्टी निवासी विनय शुक्ला ने रेल बाजार थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
इसी मामले में सोमवार को कोर्ट ने ई-बस चालक कानपुर देहात के गजनेर निवासी सत्येंद्र सिंह को गैर इरादतन हत्या का दोषी करार दे दिया था। मंगलवार को उम्रकैद की सजा सुनाई। इससे पहले सुनवाई के दौरान सत्येंद्र के अधिवक्ता अखिलेश कुमार द्विवेदी ने उसके नवयुवक होने, घर में पत्नी-छोटे बच्चे व बूढ़े मां-बाप का सहारा होने की दुहाई देते हुए सजा में रहम की अपील की।वहीं, एडीजीसी शिवभगवान गोस्वामी ने तर्क रखा कि सत्येंद्र ने लापरवाही से बस चलाई। इसमें छह की जान गई। दोनों पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने सत्येंद्र के अपराध को गंभीर मानते हुए उसे उम्रकैद की सजा सुना दी।
हादसे में इनकी हुई थी मौत* स्कूटी सवार लाटूश रोड निवासी शिवम उर्फ शुभमसोनकर, उसके दोस्त ट्विंकल उर्फ सुनील सोनकर, बाइक सवार बेकनगंज निवासी अर्सलान, राहगीर नौबस्ता के केशवनगर निवासी अजीत कुमार, उन्नाव के आनंदपुरम निवासी रमेश कुमार और श्यामनगर के रामपुरम निवासी कैलाश राठौर
बस के परिचालक की गवाही बनी अहम
एडीजीसी शिवभगवान गोस्वामी ने बताया कि सत्येंद्र ने बस में खराबी होने की बात कही थी, लेकिन तकनीकी मुआयने में बस बिल्कुल फिट पाई गई थी। अभियोजन की ओर से 25 गवाह कोर्ट में पेश किए गए थे। इसमें वादी समेत चार चश्मदीद गवाह थे। इसके अलावा मृतकों के परिजन व कई घायलों की गवाही भी हुई थी, लेकिन घटना में सबसे अहम गवाही बस के परिचालक आलोक कुमार की रही। आलोक ने बताया कि सत्येंद्र यशोदानगर से घंटाघर लौटते समय लापरवाही से गाड़ी चला रहा था। उसने एक कार को ओवरटेक किया। बस डिवाइडर को छूते हुए लहरा गई। कार वाले ने ओवरटेक करके बस रुकवाई। इसके बाद कार में बैठे लोग व बस में बैठे लोग गाली-गलौज व मारपीट करने लगे। मैंने सबसे माफी मांगी। सवारियों को दूसरी बस से रवाना किया और सत्येंद्र से गाड़ी किनारे खड़ी करने के लिए कहा। डिपो में ड्यूटी आफीसर से बात की। इसी बीच सत्येंद्र गाड़ी लेकर घंटाघर चला गया। ड्यूटी आफीसर ने मुझे गाड़ी की निगरानी के लिए कहा तो मैं ऑटो से घंटाघर पहुंचा, लेकिन सत्येंद्र वहां से बस लेकर निकल चुका था। मैं दोबारा लौटा तो देखा टाटमिल पर बस दुर्घटनाग्रस्त खड़ी है। कुछ लोग मर गए हैं और कई घायल हैं। मैं बहुत डर गया। डिपो में सुपरवाइजर को जानकारी दी और डिपो चला गया।